किटोशी एक नए जमाने का फफूंदी नाशक है, जिसमें अनेक रोगों से लड़ने की क्षमता है। किटोशी सभी प्रकार की फसलों में आने वाली बीमारी को जड़ से खत्म कर उसे फैलने से रोकता है।
फसलों में अनेक घातक बिमारियाँ आती हैं, जैसे एन्थ्राक्नोज, शीथ ब्लाइट, रस्ट/ रतुआ, पत्ती धब्बा रोग, टारगेट पत्ती धब्बा, मेंढक की आँख जैसे पत्ती धब्बा, सर्कोस्पोरा झुलसा और फल सड़न जिस को रोकना बहुत आवश्यक है, नहीं तो पैदावार में भारी गिरावट और उपज की गुणवत्ता में भारी कमी आती है।
किटोशी की कार्य प्रणाली दो स्वरूपों में होती है यह पौधे की सरंचना में घुस कर और रोग के संपर्क में आ कर कार्य करता है। इससे पौधे को लम्बे समय तक रोग मुक्त रखा जा सकता है।
किटोशी रोग आने से पहले और आने के बाद दोनों ही अवस्थाओं में असरदार है, यदि किटोशी का प्रयोग निवारक (प्रिवेंटिव) अवस्था में किया जाए तो आपकी फसल रोग मुक्त रहती है और पैदावार भी बढ़ जाती है।
सोस्पोरा पत्ती धब्बा रोग
लक्षण क्या है? पत्तिओं के घाव आमतौर पर भूरे और गोलाकार होते है घाव केंद्र में छोटे से बड़े हल्का काला रंग का होता है और किनारों से गाढ़ा भूरे रंग का होता है । घाव 1 सेंटीमीटर तक बड़ा और कभी कभी पूरा पत्ती पर फैला होता है। तना, डंठल और फली पर भी यह घाव आसानी से फैल जाता है।
अल्टरनेरिया धब्बा रोग
लक्षण क्या है? अल्टरनेरिया धब्बा रोग में पत्तिओं पर बड़े धब्बे पत्तिओं के किनारों से फैल कर उस पर ब्लाइट का रूप ले लेते है। जिस से पती सड़ कर गिरने लगती है अल्टरनेरिया धब्बा रोग में फल सड़न भी होता है जो फल की टिप से शुरू हो कर पूरे फल पर चितकबरी धब्बे से बना देता है।
फल गलन व टहनीमार रोग
लक्षण क्या है? मिर्च में यह रोग भी एक फफूंदी (कोलेटोट्राइकम कैपिसकी) से होता है । प्रभावित पके फलों पर भूरे या काले रंग के धब्बे बनते हैं, जिनके बीच में काले-काले बिंदु जैसे आकार भी बन जाते हैं, जो फफूंद की बीजाणु (बसर ब्रुलाई) होते हैं। प्रभावित फलों के बीज के ऊपर भी फफूंद उग जाता है और फल सिकुड कर सूख जाते हैं।
इसी फफूंद के कारण 'डाई-बैक' रोग भी आता है, जिससे सर्वप्रथम मुलायम शाखायें सूखनी आरंभ हो जाती हैं एवं बाद में या तो पूरी शाखा सूख जाती है या पौधा मुरझा जाता है। इस रोग के लक्षण पौधे के ऊपरी भाग से आरंभ होकर नीचे की तरफ बढ़ते हैं। सूखी हुई टहनियों पर काले बिंदु जैसे आकार बिखरे होते हैं।
मात्रा - कीटोशी की मात्रा है 250 मिली/एकड़
कब करना है:
पहला स्प्रे: बीमारी की शुरुआती अवस्था जब पत्तियों पर गोल आकार के भूरे धब्बे दिखें तब किटोशी का स्प्रे करें।
दूसरा स्प्रे: फूल और फल आने पर किटोशी का स्प्रे करें।
पानी की मात्रा: 125-150 लीटर होना चाहिए जिससे अच्छी तरह से पौधे की धुलाई हो सके
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सुरक्षा टिप्स: