लाटू एक आधुनिक खोज का ऑर्गेनिक पौध विकास वर्धक है। जिसमें ह्यूमिक एसिड, समुद्री लाभकारी पौधों का रस, विटामिन, अमिनो एसिड व अन्य तत्व होते हैं।
लाटू से पौधों के विकास में वृद्धि होती है जिससे अधिक उत्पादन व अच्छी क्वालिटी मिलती है।
जड़ों का अत्यधिक विकास जिससे पौधे जमीन से अधिक तत्व व पानी लेते हैं व पौधों का अधिक विकास होता है।
सूक्षम जीवों की परवरिश करता है जिससे जमीन की उपजाऊ क्षमता बढ़ती है।
पौधों की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है जिससे विपरीत मौसम का प्रभाव कम होता है।
पौधों की क्षमता में वृद्धि होती है जिससे अधिक उत्पादन व अच्छी फसल प्राप्त होती है।
लाटू के उपयोग की मात्रा - 4 कि.ग्रा. प्रति एकड़ (लाटू एक साथ बरोडकास्ट करें व बाद में हल्की सिंचाई करें)
लाटू के उपयोग का समय -
फसल | पहला प्रयोग | दूसरा प्रयोग |
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सब्जियाँ / प्याज/ आलू | 10-14 दिन रोपाई बाद | फल बनने की अवस्था |
गन्ना | 35-40 दिन बीजाई बाद | 70-80 दिन बीजाई बाद |
कपास | पहले पानी पर | - |
बागवानी फसलें | फूल आने पर | फल बनने की अवस्था पर |
लाटू के उपयोग की सावधानियाँ - सर्वोत्तम परिणाम के लिए लाटू की बताई हुई मात्रा का पूर्ण इस्तेमाल करें. लाटू का उपयोग सिर्फ छिट्टे में करें।
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