लाटू एक आधुनिक खोज का आर्गेनिक टॉनिक है। इसमें ह्यूमिक एसिड, समुंद्री पौधों का रस, विटामिन्स, एमिनो एसिड व मयो-इनोसिटोल तत्व भी है जो गन्ने में शुगर की मात्रा बढ़ाने में सहायक होता है लाटू से गन्ने की जड़ों का शुरूआती विकास भी तेजी से होता है जिससे अधिक उत्पादन व अच्छी क्वालिटी मिलती है।
लाटू का प्रयोग गन्ने की फसल में पहली बार गन्ने की बुआई के समय खाद में मिलाकर प्रति एकड़ 4 किलो की दर से गन्ने की पोरियों में करें। दूसरी बार पहली सिंचाई के समय लादू का छिट्टा लगाएं।
गन्ने की जड़ों का अत्यधिक विकास होता है, जिससे गन्ने के पौधे अधिक तत्व व पानी ले पाते हैं व गन्ने के पौधों का अधिक विकास होता है।
लाटू सूक्ष्म जीवों की परवरिश करता है जिससे जमीन की उपजाऊ क्षमता बढ़ती है।
गन्ने के पौधों की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है जिससे गन्ने पर विपरीत मौसम का प्रभाव कम होता है।
गन्ने के पौधों की क्षमता में वृद्धि होती है जिससे गन्ने का अधिक उत्पादन होता है।
गन्ने में लाटू के उपयोग की मात्रा - गन्ने में लाटू का उपयोग 4 किलो प्रति एकड़ कीजिये।
गन्ने में लाटू के उपयोग का समय - गन्ने में लाटू का उपयोग पहली बारलाटू का प्रयोग गन्ने की बुआई के समय करें।
गन्ने की फसल में लाटू का दूसरी बार उपयोग पहली सिंचाई के समय करें।
गन्ने में लाटू के उपयोग की विधि - पहली बार - लाटू की शिफारस की हुई मात्रा को खाद के साथ तथा अकेले में गन्ने की बुआई के समय गन्ने की पोरियों पर डालें
दूसरी बार - पहली सिंचाई के समय लाटू की शिफारस की हुई मात्रा को खाद के साथ तथा अकेले में छिट्टे के माध्यम से उपयोग कर सकते हैं।
लाटू के उपयोग की सावधानियाँ - सर्वोत्तम परिणाम के लिए लाटू की बताई हुई मात्रा का पूर्ण इस्तेमाल करें.
लाटू का उपयोग सिर्फ छिट्टे में करें।
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सुरक्षा टिप्स:
***इस वेबसाइट पर दी गई जानकारी केवल संदर्भ के लिए है। उपयोग के लिए पूर्ण विवरण और निर्देशों के लिए हमेशा उत्पाद लेबल और साथ में लीफलेट देखें।